Premanand Maharaj Ji: कलयुग में प्रेम की अलख जगाने वाले संत।
Premanand Maharaj Ji: बस यह नाम ही मानो मन को एक दम से शांति से भर देता है। सच कहूँ तो, उन्हें कई लोग कलयुग का श्री कृष्ण भी कहते हैं। और आप खुद ही सोचिए, उनकी बातें, उनका रहन-सहन और राधा-कृष्ण के लिए उनका जो अटूट प्रेम है, वो क्या किसी चमत्कार से कम है? बिल्कुल नहीं। Premanand जी Maharaj हमें राधा-कृष्ण की भक्ति का वो सीधा, सच्चा और एकदम निश्छल मार्ग दिखाते हैं, जिस पर चलकर कोई भी आत्मा सचमुच में परम आनंद पा सकती है। यह बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध संत बन चुके हैं उनके पास कई celebrities भी जा चुके हैं इन्होंने उन सभी को अपना आशीर्वाद दिया है साथ ही इन्होंने आम लोगों की कई दुख दूर भी किया है यहां Premanand Maharaj जी जो आज लोगों के दिलों में बस चुके हैं।
उनका जीवन कितना सादा और सरल है, यह तो देखने से ही पता चलता है। कोई तामझाम नहीं, बस भक्ति और सादगी। प्रेमानंद महाराज जी एक बहुत ही जाने-माने आध्यात्मिक संत हैं। उनका तो यही कहना है कि इस दुनिया की मोह माया से दूर रहकर, एक सरल और भक्ति से भरा जीवन जीना ही असली खुशी है। हैरानी होती है, जब पता चलता है कि Premanand Maharaj जी ने तो कितनी कम उम्र में ही संत का रूप धारण कर लिया था। उनका वैराग्य तो बचपन से ही शुरू हो गया था।
जीवन परिचय: Aniruddh से Premanand तक
Maharaj जी का असली नाम Aniruddh Kumar Pande है। ये Uttar Pradesh के Kanpur jile से आते थे। विश्वास नहीं होता, लेकिन उन्होंने सिर्फ 13 साल की उम्र में ही साधु का रूप ले लिया! इतनी कम उम्र में घर-बार छोड़कर भक्ति के रास्ते पर चलना, यह कोई आम बात नहीं है।
उनके पिता का नाम Shambhu Pandey जी है और माता जी का नाम रमा देवी। उन्हें ज्ञान देने वाले और सही राह दिखाने वाले गुरु का नाम है श्री हित गौरंगी शरण महाराज जी। और आज, Premanand जी Maharaj हम सबके बीच ब्रज की पावन नगरी Vrindavan में रहते हैं, जहाँ से उनकी भक्ति की रोशनी पूरी दुनिया में फैल रही है।
आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत: जब मन ने प्रभु को पुकारा
Premanand Maharaj ji: की रुचि अध्यात्म में बचपन से ही बहुत गहरी थी। उनका मन हमेशा ईश्वर की ओर खींचा जाता था। इसलिए जब वह 13 वर्ष के हुए, तो उन्होंने तय कर लिया कि अब घर छोड़कर सिर्फ आध्यात्मिक जीवन जीना है। गुरु की तलाश में घूमते-घूमते उन्होंने श्री हित Gauri Sharan Maharaj जी से दीक्षा ली। इसी के साथ-साथ उन्होंने भक्ति भावना अपना लिया और बहुत ही अच्छा उनके द्वारा राधा की उपासना करना उनका बेहद ही हम है जिस कारण से उनका आज इतना ज्यादा लोग आस्था रख रहे हैं इन्होंने अपने राधा कृष्ण के भक्ति भावना में अपनी पूरी जीवन विप बिताने का निर्णय कर लिए हैं इस कारण से Premanand Maharaj जी लोगों के दिलों में छाए हुए हैं।
उन्होंने गुरु की हर शिक्षा का पूरे मन से ही पालन किया और हमेशा एक साधारण जीवन जीने की कोशिश की। उनकी तपस्या भी गज़ब की थी। उन्होंने कठोर तपस्या की, कई बार गंगा किनारे ही रहे और हाँ, ठंडे जल से ही स्नान किया करते थे। यह सब उनकी लगन को दिखाता है। फिर कुछ समय बाद, उन्होंने Vrindavan में अपना कदम रखा और बस फिर क्या था—वह पूरी तरह से राधा भक्ति में ही लीन हो गए।
गुरु और भक्ति मार्ग: समर्पण ही सेवा है।
Premanand Maharaj जी हमें एक बहुत प्यारी बात सिखाते हैं। वह कहते हैं कि भक्ति का मतलब सिर्फ भजन या जाप करना नहीं है, बल्कि दूसरों का सेवा करना और सबके ऊपर प्रेम निछावर करना, यह भी भक्ति का ही एक बहुत बड़ा प्रकार है।
उनकी शिक्षा है कि किसी भी व्यक्ति के लिए ईर्ष्या ना रखना, सबको एक जैसा और समान भाव से ही देखना। यही तो सच्ची भक्ति है, वह बताते हैं। सबसे ज़रूरी बात? खुद को मन, तन, कर्म और वचन से अपने ईश्वर और गुरु को समर्पित कर देना ही भक्ति का सबसे शुद्ध रूप है। उनकी बातें इतनी सरल होती हैं कि सीधे दिल में उतर जाती हैं और हमें यह याद दिलाती हैं कि इस भागदौड़ भरी जिंदगी में भी, हम प्रेम और भक्ति से अपनी आत्मा को शांत कर सकते हैं।